अंतरिक्ष में भी अंतरिक्ष यात्रियों के रहने के लिए घर बनाए जाते हैं जिन्हें स्पेस स्टेशन या अंतरिक्ष स्टेशन के नाम से जाना जाता है. इन अंतरिक्ष स्टेशनों में रहकर वैज्ञानिक लंबे समय तक अंतरिक्ष में काम करते हैं.
फ़िलहाल अंतरिक्ष में इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन मौजूद है जिसका इस्तेमाल astronauts अंतरिक्ष में ठहरने के लिए करते हैं.
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन एक बहुत बड़ा spacecraft है, जो धरती के चारों तरफ घूमता रहता है. यह अंतरिक्ष में स्थापित एक घर है जिसमें अंतरिक्ष यात्री रहते हैं. इसके अलावा यह एक science lab भी है.
यह अंतरिक्ष स्टेशन किसी एक देश का नहीं बल्कि कई सारे देशों ने एक साथ मिलकर इसे बनाया है. सभी देश मिलकर इसका इस्तेमाल करते हैं. Space station को तैयार करने के लिए अलग-अलग टुकड़ों को एक साथ जोड़ा गया है. इन टुकड़ों को modules कहा जाता है, जिन्हें अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा एक साथ अंतरिक्ष में छोड़ा जाता है.
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को low earth orbit में स्थापित किया गया है, जहां यह धरती से 250 मील यानी लगभग 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर परिक्रमा करता है. इस अंतरिक्ष स्टेशन का इस्तेमाल अंतरिक्ष में रहने और काम करने के बारे में जानने के लिए किया जाता है.
सन 2000 के बाद प्रत्येक दिन इस स्पेस स्टेशन में अंतरिक्ष यात्री मौजूद रहें हैं. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की लैब में अंतरिक्ष से संबंधित वो सभी रिसर्च की जाती हैं जिन्हें धरती पर गुरुत्वाकर्षण की मौजूदगी में कर पाना संभव नहीं है.
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का उद्देश्य क्या है?
ISS का मकसद अंतरिक्ष में लंबी अवधि की खोज को सक्षम बनाना है. यह स्टेशन सूक्ष्म-गुरुत्वाकर्षण और अंतरिक्ष पर्यावरण अनुसंधान प्रयोगशाला के तौर पर कार्य करता है, जहां पृथ्वी और अंतरिक्ष पर जीवन का अध्ययन (astrobiology), सूर्य, ग्रहों और चंद्रमा से जुड़े वैज्ञानिक अध्ययन (astronomy), मौसम-विज्ञान (meteorology), भौतिक विज्ञानं (physics) और अन्य क्षेत्रों से जुड़े वैज्ञानिक अध्ययन किए जाते हैं.
इसके अलावा ISS पर भविष्य में चंद्रमा और मंगल से जुड़े लंबे समय के मिशनों के लिए आवश्यक spacecraft systems और equipment के टेस्टिंग कार्यों को पूरा किया जाता है.
इसके अलावा अंतरिक्ष स्टेशन के उपयोग से अंतरिक्ष में रहने और काम करने के तरीकों के बारे में सिखाया जाता है. इसके जरिए इंसान पर गुरुत्वहीनता या भारहीनता के long-term effects का अध्ययन किया जाता है और अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने से पहले वर्तमान तरीकों में क्या सुधार करने की आवश्यकता है, इसकी भी टेस्टिंग की जाती है.
इसके साथ ही यह भविष्य में मानव अंतरिक्ष अन्वेषण (exploration) के लिए आवश्यक तरल पदार्थ, दहन, जीवन समर्थन प्रणाली और विकिरण पर्यावरण में महत्वपूर्ण अनुसंधान की अनुमति देता है.
International Space Station कितना बड़ा है?
ISS का आकार 109 X 73 मीटर है यानी किसी फुटबॉल मैदान के जितना बड़ा है. इसका वजन लगभग 420,000 किलोग्राम है.
इस अंतरिक्ष स्टेशन में एक साथ 6 अंतरिक्ष यात्री रह सकते हैं और जरूरत पड़ने पर इसे बढ़ाया भी जा सकता है. अभी तक इसमें एक साथ 13 लोग रह चुके हैं.
इसमें अंतरिक्ष यात्रियों के रहने, खाने-पीने, टॉयलेट, बाथरूम और लेबोरेटरी के सारे इंतजाम हैं. इसके अलावा इसमें अंतरिक्ष यात्रियों के लिए gym भी उपलब्ध है, ताकि अंतरिक्ष यात्री वहां exercise भी करते रहें. क्योंकि अंतरिक्ष में low gravity में लंबे समय तक रहने की वजह से हड्डियां कमजोर होने लगती हैं, इसलिए वहां निरंतर व्यायाम करते रहना जरूरी होता है.
ISS को बनाने वाले देश
International Space Station किसी एक देश का नहीं बल्कि इसे 5 देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों ने मिलकर तैयार किया है, जिनके नाम कुछ इस प्रकार हैं:
देश | एजेंसी का नाम |
अमेरिका | National Aeronautics and Space Administration (NASA) |
रूस | Russian Federal Space Agency (Roscosmos) |
जापान | Japan Aerospace Exploration Agency (JAXA) |
कनाडा | Canadian Space Agency (CSA) |
यूरोपीय देश | European Space Agency (ESA) |
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के पहले टुकड़े को सन 1998 में लॉन्च किया गया. इसके लिए एक Russian rocket का इस्तेमाल किया गया था. इसके बाद इसमें कई और टुकड़ों को जोड़ा गया. दो साल बाद यह अंतरिक्ष स्टेशन लोगों के रहने के लिए तैयार हो गया. पहला दल 2 नवंबर 2000 को ISS में पहुंचा.
तब से लेकर अब तक इस स्टेशन में लोग रहते आ रहें हैं. समय के साथ-साथ इसमें और टुकड़ों को भी जोड़ा गया. वर्ष 2011 में अंतरिक्ष स्टेशन को बनाने का काम पूरी तरह से कंप्लीट कर लिया गया.